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Shloka: | अथ व्यवस्थितान्दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान्कपिध्वजः। प्रवृत्ते शस्त्रसंपाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः॥ |
Bhagavad Gita Reference: | 1.20 |
Mahabharata Reference: | 6023020 |
Hindi Trnaslation: | हे महीपते धृतराष्ट्र ! अब शस्त्र चलने की तैयारी हो ही रही थी कि उस समय अन्यायपूर्वक राज्य को धारण करने वाले राजाओं और उनके साथियों को व्यवस्थित रुप से सामने खड़े हुए देखकर कपिध्वज पाण्डुपुत्र अर्जुन ने अपना गाण्डीव धनुष उठा लिया॥२०॥ |
Sandhi-split Shloka: | अथ व्यवस्थितान् दृष्ट्वा धार्त्रराष्ट्रान् कपि-ध्वजः प्रवृत्ते शस्त्र-सम्पाते धनुः उद्यम्य पाण्डवःहृषीकेशम् तदा वाक्यम् इदम् आह महीपते |
Anvayakrama: | अथ कपि-ध्वजः पाण्डवः धार्त्रराष्ट्रान् व्यवस्थितान् दृष्ट्वा, शस्त्र-सम्पाते प्रवृत्ते (सति) धनुः उद्यम्य हे महीपते! तदा हृषीकेशम् इदम् वाक्यम् आह॥ |
Bhagavad Gita Tagged Shloka: | अथ/A व्यवस्थितान्/NV दृष्ट्वा/KKS धार्तराष्ट्रान्/NP कपिध्वजः/NV प्रवृत्ते/KNV शस्त्रसम्पाते/NP धनुः/NP उद्यम्य/KKS पाण्डवः/NP ॥/PUNC 1.20/PUNC ॥/PUNC Tagging scheme used |